दिए जो दर्द तूने मुझे,सब हम सह गए
दिए जो दर्द तूने मुझे,सब हम सह गए,
फिर भी आज अकेले दोनो हम रह गए।
किए थे वादे दोनो ने एक साथ रहने के,
फिर भी ये वादे,पानी की तरह बह गए।
संजोय थे बड़े अरमान,साथ निभाने के,
फिर भी अरमानों के किले सब ढह गए।
पछता रहे दोनो,जिंदगी के इस मुकाम पर,
कहनी नही जो बाते,गुस्से में हम कह गए।
लड़ते रहे जिंदगी की लड़ाई हम उम्र भर,
आखरी लड़ाई भी हार कर हम रह गए।
लिखता रहा रस्तोगी,दिल की अपनी बाते,
फिर भी कुछ लब्ज़,लिखने को है रह गए।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम