“दास्तां ज़िंदगी की”
एक घाव है जो भरता नहीं,
एक उम्मीद है जो मरती नहीं।
एक ज़ुबां है जो कहता नहीं,
एक ज़हन है जो सुनती नहीं।
एक दोस्त है जो बनता नहीं,
एक दुश्मनी है जो निभती नहीं।
एक दिल है जो सुधरता नहीं,
एक हंसी है जो संभलती नहीं।
एक असर है जो करता नहीं,
एक आदत है जो बदलती नहीं।
एक हाथ है जो बढ़ता नहीं,
एक दामन हैं जो फिसलती नहीं।
एक चैन हैं जो मिलता नहीं,
एक कशिश है जो जाती नहीं।
एक दिन है जो गुजरता नहीं,
एक रात है जो ठहरती नहीं।
एक शोर है जो रुकता नहीं,
एक तफ्तीश है जो होती नहीं।
एक प्रेम है जो निभता नहीं,
एक वासना हैं जो बुझती नहीं।
एक जुर्म हैं जो थमता नहीं,
एक सजा है जो मिलती नहीं।
ओसमणी साहू ‘ओश’ रायपुर (छत्तीसगढ़)