दास्तां इश्क़ की
सुना है बड़ी खूबसूरत खूबसूरत हैं, दास्तां इश्क़ की
वो वादियाँ कहाँ हैं, फ़िज़ा कहाँ हैं, हैं कहाँ इश्क़ की
हमें भी ले चलो ऐ सर्द हवा ,इश्क़ के जहाँ ले चलो
हमें भी लेनी है साँसें लंबी,हमें भी देखनी है दुनिया इश्क़ की
जिसमें ना हो फ़िक्र फ़कत हो बेचैनियों में चैन यारों
वो तकिया कहाँ है,वो निंदियाँ कहाँ हैं ,कहाँ हैं ज़ुबाँ इश्क़ की
अब हमसे इन तन्हाइयों का बोझ उठाया नहीं जा सकता
हमें नहीं चाहिए दवा-दारू अब बस लग जाए दुआं इश्क़ की
दिल को सुकूँ मिलता है बड़ा ,इश्क़ के अफ़साने सुन सुनकर
ऐ इश्क़ के मुसाफ़िरों बयाँ करो कहानी,करो बयाँ इश्क़ की
ऐ चाँदनी पैहरन रातों तुम ही सुनाओ ना दास्तां इश्क़ की
कैसे कैसे होती हैं बातें कैसे गुज़रती हैं रातें, दरमियाँ इश्क़ की
क्या इश्क़ में भी आँधियाँ आती हैं तूफ़ां आतें हैं कभी कभी
हम भी उड़ना चाहते हैं बेशक़ हमें उड़ा ले जाए आँधियाँ इश्क़ की
अरे हम हैं तन्हा हमें भी सुननी हैं सरगोशियाँ इश्क़ की
चिल्लाना है ज़ोर ज़ोर से इश्क़ इश्क़, सहनी हैं खामोशियाँ इश्क़ की
~अजय “अग्यार