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21 Feb 2022 · 2 min read

*दावत में मालपुए 【 अतुकांत हास्य-कविता 】*

दावत में मालपुए 【 अतुकांत हास्य-कविता 】
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
डाइबिटीज का रोग सबसे बुरा कहलाता है,
क्यों कि मिठाई घर पर फ्रिज में रखी होती है
मगर आदमी लार टपकाता रह जाता है।

सिर्फ शादी की दावत ही तो एक मौका आता है
जब आदमी नजरें बचाता है
और दो गुलाब-जामुन और एक इमरती मजे से खाता है।

हमारे मित्र भाई साहब जी एक शादी में मालपुए खा रहे थे
मजे आ रहे थे ।

किसी ने नहीं देखा, मगर फैमिली डाक्टर ने पकड़ लिया ,कहा , “हम आपको डायबिटीज की दवाई खिलाते हैं,
और आप दोने भर-भर कर मिठाई खाते हैं ?”

भाई साहब ने मालपुए को दोने से उठाकर जल्दी से मुँह में रखा,
और पूरा का पूरा चखा ।

फिर बोले , “हम अपनी स्कीम आपको सच-सच बताते हैं,
जिस दिन हम दावत में जाकर मिठाइयाँ खाते हैं ,
उस दिन दवाई की एक अतिरिक्त खुराक दावत में ले जाते है।

फैमिली डाक्टर हँसे, बोले”आपकी अक्ल सठियाई है ,
समझ अब भी नहीं आई है।
भगवान न करें ! आपको पक्षाघात अर्थात लकवे की बीमारी हो ,
चलते- फिरने तक की लाचारी हो
तब आप जीवित तो कहलाएँगे
मगर स्वस्थ नहीं रह पाएँगे।
सवाल मेरे भाई ! मरने और जीने का नहीं है
सवाल स्वस्थ रहने का सबसे बड़ा है ,
इसीलिए आपकी फैमिली के साथ आपका यह फैमिली डॉक्टर आपके और मिठाई के बीच दीवार बनकर खड़ा है।

भाई साहब अब चिल्लाने पर उतर आए,
मिठाई के लालच के भाव उनके चेहरे पर
स्पष्ट टिमटिमाए।
बोले “फैमिली और फैमिली डाक्टर का कहा हुआ हम नहीं मानते हैं ,
हमें तो मालपुए अच्छे लगते हैं
इसलिए खाएँगे, हम तो बस इतना जानते हैं।

ज्यादा से ज्यादा यह होगा कि मौत जल्दी आएगी
उम्र कुछ कम हो जाएगी
जिसने भी दिन जीना है, मालपुए खाना है, चीनी की चाय पीना है।
धोखा न खुद को, न आप को देते हैं।”

फैमिली डॉक्टर ईमानदार था, समझदार था।
उसने भाई साहब ही पूरी की पूरी क्लास लगाई अर्थात उनकी पूरी फैमिली जो दावत-स्थल पर इधर-उधर बिखरी थी, एकत्रित कराई ।
फिर कहा: “मसला | यह आपकी फैमिली का रहा ,मगर फिर भी हम अपना कर्तव्य निभाएँगे
जो गलती आप कर रहे हैं ,उसे टोक कर ही जाएँगे।

इसलिए जीवन को घिसट-घिसट कर ढोने से बचाएँ
डायबिटीज के रोगी कृपया ध्यान दें :-
शादी की दावत में भी मुफ्त की मिठाई न खाएँ। “’
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
रचयिता: रविप्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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