दायरे से बाहर
हाँ,बिक्रम भी मैं औ बैताल भी मैं हूँ
तेरे हर जवाब का सवाल भी मैं हूँ ।
इतना हैरान क्यों हो मेरी फितरत पे
यारों उस क़ुदरत का कमाल भी मैं हूँ ।
कामयाबियों पे अपनी फ़क़्र करनेवाला
बेहतरीन बेवकूफ औ बेमिसाल भी मैं हूँ ।
दौर बदला है दिनोईमान के साथ-साथ
बेहद खुदगर्ज अमीर औ कंगाल भी मैं हूँ।
तारीख ने करी है तिज़ारत मेरे हुनर का
,वक्त,माज़ी,मुस्तकबिलऔ हाल भी मैं हूँ।
ज़िंदगी,ज़िंदादिली,जहालत जन्नतोजहन्नुम
राहत भी मैं और जी का जंजाल भी मैं हूँ ।
-अजय प्रसाद