दायरे से बाहर
बाल की खाल अब निकाले जा रहे हैं
खामिया एक दूजे के खँगाले जा रहे हैं।
आखिर चैनेल को चलाना भी ज़रूरी है
हर रोज़ नये नये मुद्दे उछाले जा रहे हैं।
देखो कहीं लग न जाए सूरज को सदमा
धूप को एहतियात से संभाले जा रहे हैं ।
चांद की चापलूसी में लगे हुए कुछ लोग
सितारों से माँगे उनके उजाले जा रहे हैं।
खामोशियां तेरी अब खलने लगी अजय
भड़ास दिल के भरपूर निकाले जा रहे हैं।
-अजय प्रसाद