दायरे से बाहर (आज़ाद गज़ल संग्रह)
दायरे से बाहर
( आज़ाद गज़लें )
खतरे में तो अब हर समाचार है
हरेक शख्स आजकल पत्रकार है ।
मोबाईल और ये सोशल मिडिया
बन गया एक भयंकर हथियार है ।
जिसे देखो जुटा है सच बताने में
झूठ हो गया किस कदर लाचार है ।
बदइन्तेजाम के बंदरबाट में यारों
पक्ष और विपक्ष दोनों साझेदार है।
बदजुबानी,बद्तमीज़ी,औ नंगापन
मशहूर होने को बेहद मददगार है
भला इलज़ाम भी लगाए,तो किस पे
जनता ही इसके लिए जिम्मेदार है।
तू कौन सा है दुध का धुला अजय
अबे!तू भी फ़ेसबुकिया रचनाकार है।
-अजय प्रसाद