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9 Jun 2022 · 1 min read

दायरा

यह सच है
पिता ने प्रसव वेदना नहीं सही है
लेकिन क्या उसके अंदर अपनी संतान के लिए
अतुलनीय संवेदना नहीं रही है?
अपनी संतान को
समाज का/ देश का/ विश्व का
एक सम्मानजनक नागरिक
बनाने की जिम्मेदारी
एक पिता ही निभाता है;
मगर विरले ही इसका श्रेय
उसके सर जाता है;
अपनी आकांक्षाओं की लाश पर
खड़ा करता है
अपने बच्चों की महत्वाकांक्षाओं के महल,
उन्हें जीवन में न झेलनी पड़े कठिनाइयाँ
इसके लिए करता है
हर शुरुआत/ हर पहल;
परंतु बहुधा उसे संतान से यही सुनना पड़ता है,
“बेहतर हो आप मेरी दुनिया में हस्तक्षेप न करें
और हो सके तो अपने दायरे में ही रहें।”

©पल्लवी ‘शिखा’, दिल्ली।

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