Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Apr 2021 · 1 min read

-दायरा

देखती हूं,
क्या क्या सोचती है इस उम्र में नारी!!
45 प्लस की हो गई कि वो मन से है हारी,
खुद में ही ठहराव लाकर थम सी जाती है,
अपने जीवन के खाते में डाल देती है”अब क्या बाकी है?”
बस अब जिंदगी तो काटनी है ऐसे ही निकल जानी है
पहनावे से लेकर खुद की प्रेजेंटेशन को
नजरअंदाज करने लग जाती है,
उम्र के इस पड़ाव पर बाहर सब कुछ
संतुष्ट से भरी नजर आती है,
पर अभी भी भीतर एक खोखलापन जारी है,
कुछ करने ,कुछ कहने के लिए स्त्री अपने मन से हारी है,
पर ऐसा नहीं,,, कुछ सोचती भी है इस उम्र में नारी
अब कुछ करने की बारी है,,,
जो छूट गया उसे पाना मुश्किल है पर ना मुमकिन नही
ऐसे ही हम विचार धारी हैं…..
नारी सब रिश्तो में रंग भरती है सब की जरूरत पूरी करती है,
भूले नहीं खुद से भी कोई रिश्ता है अब यह पूरी करने की तैयारी है,
अपने सपने को दे नया रास्ता यह सिलसिला अब जारी है
लोग क्या कहेंगे!!
लोग हसेंगे!! बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम भी कहेंगे!!
इससे नहीं रखो वास्ता,, नारी इससे नहीं रखो वास्ता,
गहराई से समझो नारी,, अपने कला में लाओ भारी दक्षता,
45 प्लस की हो गए तो क्या हुआ जीवन अभी भी बाकी है,
रहा में जो छूटे सपने, उन्हें लाने की अब तैयारी है,
घर तक सिमटा था दायरा वह बढ़ाना अभी बाकी है।
– सीमा गुप्ता,अलवर राजस्थान

Language: Hindi
1 Like · 344 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दिल के इक कोने में तुम्हारी यादों को महफूज रक्खा है।
दिल के इक कोने में तुम्हारी यादों को महफूज रक्खा है।
शिव प्रताप लोधी
खेत का सांड
खेत का सांड
आनन्द मिश्र
वो तीर ए नजर दिल को लगी
वो तीर ए नजर दिल को लगी
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बचपन की यादें
बचपन की यादें
Neeraj Agarwal
तेरी आमद में पूरी जिंदगी तवाफ करु ।
तेरी आमद में पूरी जिंदगी तवाफ करु ।
Phool gufran
नीचे तबके का मनुष्य , जागरूक , शिक्षित एवं सबसे महत्वपूर्ण ब
नीचे तबके का मनुष्य , जागरूक , शिक्षित एवं सबसे महत्वपूर्ण ब
Raju Gajbhiye
💐प्रेम कौतुक-390💐
💐प्रेम कौतुक-390💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
23/09.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
23/09.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
*सूने पेड़ हुए पतझड़ से, उपवन खाली-खाली (गीत)*
*सूने पेड़ हुए पतझड़ से, उपवन खाली-खाली (गीत)*
Ravi Prakash
जख्म भरता है इसी बहाने से
जख्म भरता है इसी बहाने से
Anil Mishra Prahari
चांद बिना
चांद बिना
Surinder blackpen
क्यों खफा है वो मुझसे क्यों भला नाराज़ हैं
क्यों खफा है वो मुझसे क्यों भला नाराज़ हैं
VINOD CHAUHAN
माया फील गुड की [ व्यंग्य ]
माया फील गुड की [ व्यंग्य ]
कवि रमेशराज
जीवन में जब संस्कारों का हो जाता है अंत
जीवन में जब संस्कारों का हो जाता है अंत
प्रेमदास वसु सुरेखा
ग़ज़ल/नज़्म - इश्क के रणक्षेत्र में बस उतरे वो ही वीर
ग़ज़ल/नज़्म - इश्क के रणक्षेत्र में बस उतरे वो ही वीर
अनिल कुमार
आपसा हम जो दिल
आपसा हम जो दिल
Dr fauzia Naseem shad
12- अब घर आ जा लल्ला
12- अब घर आ जा लल्ला
Ajay Kumar Vimal
मैं बनना चाहता हूँ तुम्हारा प्रेमी,
मैं बनना चाहता हूँ तुम्हारा प्रेमी,
Dr. Man Mohan Krishna
धैर्य वह सम्पत्ति है जो जितनी अधिक आपके पास होगी आप उतने ही
धैर्य वह सम्पत्ति है जो जितनी अधिक आपके पास होगी आप उतने ही
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
मां
मां
goutam shaw
देखिए लोग धोखा गलत इंसान से खाते हैं
देखिए लोग धोखा गलत इंसान से खाते हैं
शेखर सिंह
मत बनो उल्लू
मत बनो उल्लू
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - २)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - २)
Kanchan Khanna
अच्छी थी पगडंडी अपनी।सड़कों पर तो जाम बहुत है।।
अच्छी थी पगडंडी अपनी।सड़कों पर तो जाम बहुत है।।
पूर्वार्थ
😊संशोधित कविता😊
😊संशोधित कविता😊
*Author प्रणय प्रभात*
कान में रुई डाले
कान में रुई डाले
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
"मानो या ना मानो"
Dr. Kishan tandon kranti
জীবন চলচ্চিত্রের একটি খালি রিল, যেখানে আমরা আমাদের ইচ্ছামত গ
জীবন চলচ্চিত্রের একটি খালি রিল, যেখানে আমরা আমাদের ইচ্ছামত গ
Sakhawat Jisan
अभिव्यक्ति की सामरिकता - भाग 05 Desert Fellow Rakesh Yadav
अभिव्यक्ति की सामरिकता - भाग 05 Desert Fellow Rakesh Yadav
Desert fellow Rakesh
Loading...