((((दाम))))
((((((दाम))))))
ज़िन्दगी का मौत ने दाम लगा दिया,
अच्छे अच्छों का रुतबा मिट्टी में मिला दिया.
तड़प उठा हर इंसान एक आफत से,
खौफ का असली चेहरा आज कुदरत ने दिखा दिया।
लगी लाइन बीमारों की,रुक गयी चाल सरकारों की,
कहीं है मौत का मंजर,उम्मीद नही कोई उपचारों की.
लाशें उठ रही रोज,खामोश है जुबां इलाजवालों की,
कहीं ना मिल रहा तोड़ इस जड़ का,ना काम आयी
खेप हथियारों की।
कोई तो बात है कुदरत में,सब रुक गया एक पल में,
ये अनहोनी ही तो होगयी,पूरी दुनिया ही क़ैद होगयी.
ना चले जोर किसीका,हर तरफ है शोर इसीका,
अफवाहें गर्म है बहुत,उड़ा मज़ाक भी बहुत,
पर अब तो हद ही होगयी,सारी इंसानियत ही
जुदा होगयी।
आखिर सब उसी के कदमों में आये,हर तरफ उठी प्राथना दुआएं,शायद वो फिर सुन लेगा मौका एक और देगा,
वो है अपना रहनुमा,निकल जायेगा ये भी समा।
एक गुज़ारिश मेरी भी सुनो,थोड़ा अब विनम्र बनो,कोई गरीब भूखा ना मरे ,ये दर्द ये वक़्त सांझा सब मिलकर करो,सब डटकर करो।