दादी माँ का प्यार
******** दादी माँ का प्यार *******
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भुलाए नहीं भूलता दादी माँ का प्यार,
नसीबों से है मिलता दादी माँ का प्यार।
याद आती रहती परियों की कहानियाँ,
पास बस रह गई अम्मा की निशानियाँ,
बहती नैनों में अश्रुधारा,दादी का प्यार।
नसीबों से है मिलता दादी माँ का प्यार।
गोदी में सुलाती थी गा गा कर लोरियाँ,
माथे पर कभी भी देखी नहीं त्योरियाँ,
पल आएंगे न दुबारा दादी माँ का प्यार।
नसीबों से है मिलता दादी माँ का प्यार।
चुपके से देती खाने को मीठी गोलियाँ,
शरारत करने पर मिलती थी गालियाँ,
खट्टा मीठा नजारा दादी माँ का प्यार।
नसीबो से हैं मिलता दादी माँ का प्यार।
साहूकार को जैसे मूल से प्यारा ब्याज,
दादी का था हमारे राग से बजता साज,
राग मल्हार था जैसा दादी माँ का प्यार।
नसीबों से है मिलता दादी माँ का प्यार।
मनसीरत को दिल से लाड़ था लड़ाया,
दिन में ना जाने कितनी बार नहलाया,
दुलार से पुचकारा दादी माँ का प्यार।
नसीबों से है मिलता दादी माँ का प्यार।
भुलाए नही भूलता दादी माँ का प्यार।
नसीबों से है मिलता दादी माँ का प्यार।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)