दादी दादा नाती पोते!
नन्हे मुन्ने,
नाती पोते,
तुतलाते हुए,
जब वह कहते,
उनकी मासूमियत पर,
बलिहारी कर,
दादी दादा,
मुग्ध तब होते !
ठुमक ठुमक कर जब वो चलते,
गिरते पड़ते, हिलते डुलते,
झूमकर लहराते हुए आगे बढ़ते,
माता पिता भाव विभोर होकर,
पास बुलाकर चूमते झूमते,
आन्नदित होकर खुश होते!
शनै शनै शैशव बढ़ता है,
बच्चों को शिक्षित करने को,
कुछ सीखने -सीखाने को,
मंथन का दौर चलता है!
फिर होती है स्कूल की तैयारी,
परिचितों से ली जाती जानकारी,
कौन सा स्कूल अच्छा रहेगा,
जहां बच्चे का जीवन संवरेगा!
अब बच्चे में उत्साह बढ़ाते,
मेरा लल्ला स्कूल जाएगा,
पढ़ लिख कर साहब बनकर आएगा,
बच्चा भी कौतूहल दर्शाता है,
सज संवर कर इतराता है!
जब वह स्कूल में जाता है,
चहल पहल पर घबराता है,
डर- सहम कर रह जाता है,
माता पिता से चिपक सा जाता है,
माता पिता भी भावुक हो जाते हैं,
फिर बच्चे को सहलाते हैं,
प्रेम प्यार से उसे समझाते हैं!
वो देखो, वह भैया भी आया है,
उधर देखो, वहां बहना भी है,
माता पिता का तो वह गहना ही है,
वो देखो मैम आ गई है,
ये आपको पढ़ना लिखना सिखलाएगी!
देखो मैम कितनी अच्छी है,
हाई हैलो वह कह रही है,
आओ क्लास रूम में चलते हैं,
वहां और बच्चे भी पढ़ते हैं!
धीरे धीरे बच्चे रम जाते हैं,
हां कभी कभी लड भी जाते हैं,
रोते बिलखते हुए चिल्लाते हैं,
मम्मी पापा को बुलाते हैं,
मैम आकर चुप कराती ,
किससे हुआ झगड़ा पुछती जाती है,
फिर समझा बुझाकर शांत कराती है!
कदम समय के साथ आगे बढ़ता है,
बच्चा पढ़ लिख कर आगे बढ़ता है,
नौनिहाल अब नवयुवक बन जाते हैं,
नई उमंगों से भर जाते हैं,
नई जिम्मेदारियों को आजमाते हैं,
नए नागरिक अब वह कहलाते हैं!
फिर उसी चक्र में वह भी आ जाते हैं,
बच्चे जब बड़े हो जाते हैं,
घर गृहस्थी वह बनाते हैं,
आंगन में फिर बच्चे आ जाते हैं,
फिर दादी दादा कहीं खो जाते हैं!
अब मम्मी पापा ही,
दादी दादा बन जाते हैं,
और फिर,
नाती पोते वह खिलाते हैं!