दादी जी का जन्मदिन
ज़िन्दगी का ये पल
हर किसी की
तकदीर में नही ,
हमारी किस्मत
कि उनकी आँखों से
इतने सालों का सफर
देखें तो सही ,
इस सफर में
सुख – दुख का रेला है
तमाम
गुज़री यादों का मेला है ,
वो गुज़री यादें
जो जीने का सहारा हैं
हम जिये इनके साथ तो
आने वाला
कल हमारा है ,
ज़बा नही है
अब आँखों में
आँँसू ही रहते है
सुख – दुख सब
अब यही कहते हैं ,
हमारी उम्र में
जोश ही जोश
बहाव ही बहाव
किस्मत होगी तो
हम भी गुज़रेगें
इस मोड़ से
शायद
तब आयेगा ठहराव ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 04/06/04 )