दादी की दवाई
रामदुलारी 75 पार हो चुकी थीं। उन्हें कई दिन से खांसी, जुकाम, बुखार की शिकायत थी। बेटे को अपने काम से समय नहीं मिल पा रहा था जो दवा ला सके। कई दिन बाद नाती के हाथ से दवा पाकर ढेरों दुआएं दे डालीं। खैर, रामदुलारी की रात आराम से कट गई। सुबह उठीं तो नाती को फिर ढेरों दुआएं दे डाली। कई दिन बाद दवा पाकर और रात आराम से गुजरने की खुशी रामदुलारी के चेहरे पर साफ नजर आ रही थी।
दवाई देखकर बोलीं- ”इतनी सारी दवा की क्या जरूरत थी? मुझे तो एक खुराक में ही आराम मिल गया।” दरअसल दादी! रात मम्मी की भी आप जैसी हालत थी। पापा उन्हें दिखाने ले गए थे। उसी दवाई को ज्यादा मात्रा में ले आए और आपको भी खिला दी।” नाती की बात सुनकर दादी के सामने किसी जवाब के नाम पर खामोशी के सिवा कुछ नहीं था।
© अरशद रसूल