दादी की कहानी (कविता)
दादी की कहानी
दादी! सुनाओ ऐसी कहानी
जिसमें हो परियों की रानी
या हो पुरानी सदियों वाली
बूढ़ी परी या नदियों वाली
तब दादी की छनकी पायल
और कहा परी थी घायल
सुंदर परियां उड़कर जाती
कह जाती थी उससे पागल
किंतु समय सभी का आया
एक का होकर रुक न पाया
एक दैत्य साधु बन आया
सबसे अपना रहस्य छिपाया
सम्मोहन का जाल बिछाकर
सुंदर परियों को ललचाकर
समझकर परियां नई-नवेली
करता था मनभर अठखेली
पहचान न पाते उसका वेश
परियां ले जाता अपने देश
पर बूढ़ी परी ये जान गयी थी
उसके छल पहचान गयी थी
छड़ी जादू की वह ले आयी
जो थी उसने नानी से पायी
छड़ी घुमाकर जो मारा मंतर
भस्म हो गया दानव तत्क्षण
ये नन्ही परियां सोच रहीं थीं
खुद को मन में कोस रही थी
आशीष सदा बड़ों से पाते हैं
धोखे छल से बच ही जाते हैं
-©दुष्यन्त ‘बाबा’
पुलिस लाईन, मुरादाबाद।
चित्र गूगल से साभार…👍