Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 May 2023 · 1 min read

दादा जी

दादा जी,

रिश्तों की कदर,
बचपन में सही राह दिखाते है,
गिरते वक़्त पर संभलना,
तो कभी दुनिया की समझ कराते है,
एक दादा जी ही तो होते है जो,
मकान को घर बनाते है…!

अपने से भी पहले,
दूसरों की फ़िक्र जिन्हे,
जिनके रहने से घर में रौनक होती है,
बहुत खुशनसीब होता है वो घर जिस घर में ऐसे दादा जी होते है…!!

~गरिमा प्रसाद🥀

Language: Hindi
98 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*लोकमैथिली_हाइकु*
*लोकमैथिली_हाइकु*
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
Jeevan ka saar
Jeevan ka saar
Tushar Jagawat
नम आंखे बचपन खोए
नम आंखे बचपन खोए
Neeraj Mishra " नीर "
क्यों बदल जाते हैं लोग
क्यों बदल जाते हैं लोग
VINOD CHAUHAN
" ज़ेल नईखे सरल "
Chunnu Lal Gupta
सरकार बिक गई
सरकार बिक गई
साहित्य गौरव
रमेशराज के 2 मुक्तक
रमेशराज के 2 मुक्तक
कवि रमेशराज
हवस
हवस
Dr. Pradeep Kumar Sharma
😟 काश ! इन पंक्तियों में आवाज़ होती 😟
😟 काश ! इन पंक्तियों में आवाज़ होती 😟
Shivkumar barman
2324.पूर्णिका
2324.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
"बेज़ारे-तग़ाफ़ुल"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
वादी ए भोपाल हूं
वादी ए भोपाल हूं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Consistency does not guarantee you you will be successful
Consistency does not guarantee you you will be successful
पूर्वार्थ
तर्कश से बिना तीर निकाले ही मार दूं
तर्कश से बिना तीर निकाले ही मार दूं
Manoj Mahato
चली ये कैसी हवाएं...?
चली ये कैसी हवाएं...?
Priya princess panwar
कहने को सभी कहते_
कहने को सभी कहते_
Rajesh vyas
तुझे भूले कैसे।
तुझे भूले कैसे।
Taj Mohammad
** बहाना ढूंढता है **
** बहाना ढूंढता है **
surenderpal vaidya
बीते हुए दिनो का भुला न देना
बीते हुए दिनो का भुला न देना
Ram Krishan Rastogi
जिंदगी हमने जी कब,
जिंदगी हमने जी कब,
Umender kumar
*डायरी के कुछ प्रष्ठ (कहानी)*
*डायरी के कुछ प्रष्ठ (कहानी)*
Ravi Prakash
मेरी भैंस को डण्डा क्यों मारा
मेरी भैंस को डण्डा क्यों मारा
gurudeenverma198
खोखला वर्तमान
खोखला वर्तमान
Mahender Singh
"यह कैसा नशा?"
Dr. Kishan tandon kranti
विश्वेश्वर महादेव
विश्वेश्वर महादेव
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
5. *संवेदनाएं*
5. *संवेदनाएं*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
--: पत्थर  :--
--: पत्थर :--
Dhirendra Singh
मोहब्बत अनकहे शब्दों की भाषा है
मोहब्बत अनकहे शब्दों की भाषा है
Ritu Asooja
किसी को घर, तो किसी को रंग महलों में बुलाती है,
किसी को घर, तो किसी को रंग महलों में बुलाती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"सुप्रभात "
Yogendra Chaturwedi
Loading...