Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Dec 2023 · 1 min read

*दादा जी (बाल कविता)*

दादा जी (बाल कविता)
_____________________
दादा जी को देखो रोते
खड़े बहुत मुश्किल से होते

एक-एक कर कदम बढ़ाते
इतने में ही हैं थक जाते

इनको आती याद पुरानी
ताकत वह वापस कब आनी
———————————–
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615 451

350 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

जो कण कण में हर क्षण मौजूद रहता है उसे कृष्ण कहते है,जो रमा
जो कण कण में हर क्षण मौजूद रहता है उसे कृष्ण कहते है,जो रमा
Rj Anand Prajapati
वे भी द्रोणाचार्य
वे भी द्रोणाचार्य
RAMESH SHARMA
*सीखो जग में हारना, तोड़ो निज अभिमान (कुंडलिया)*
*सीखो जग में हारना, तोड़ो निज अभिमान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
जो मिला उसे स्वीकारो या बदलाव करो,
जो मिला उसे स्वीकारो या बदलाव करो,
Karuna Goswami
"जल"
Dr. Kishan tandon kranti
ख़ुद से सवाल
ख़ुद से सवाल
Kirtika Namdev
3188.*पूर्णिका*
3188.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अच्छे बच्चे
अच्छे बच्चे
विजय कुमार नामदेव
कुछ पल साथ में आओ हम तुम बिता लें
कुछ पल साथ में आओ हम तुम बिता लें
Pramila sultan
जिसको तेल लगाना आए
जिसको तेल लगाना आए
Manoj Shrivastava
प्रेम वो नहीं
प्रेम वो नहीं
हिमांशु Kulshrestha
गीत- किसी बरसात-सी मुझको...
गीत- किसी बरसात-सी मुझको...
आर.एस. 'प्रीतम'
कोई मिले जो  गले लगा ले
कोई मिले जो गले लगा ले
गुमनाम 'बाबा'
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
दोहा पंचक. . . . .
दोहा पंचक. . . . .
sushil sarna
वसीयत
वसीयत
MEENU SHARMA
जो बुजुर्ग कभी दरख्त सा साया हुआ करते थे
जो बुजुर्ग कभी दरख्त सा साया हुआ करते थे
VINOD CHAUHAN
बारिश की बूंदे
बारिश की बूंदे
Praveen Sain
अर्ज किया है
अर्ज किया है
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
क़िस्मत हमारी ख़ुद के ही पहलू से आ मिली
क़िस्मत हमारी ख़ुद के ही पहलू से आ मिली
अंसार एटवी
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -183 के दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -183 के दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
प्रेम
प्रेम
Rambali Mishra
#आलेख-
#आलेख-
*प्रणय*
जिंदगी की चाय
जिंदगी की चाय
पूर्वार्थ
किस्सा कुर्सी का - राज करने का
किस्सा कुर्सी का - राज करने का "राज"
Atul "Krishn"
: कितनी प्यारी सहज सरल हो... ( हिन्दी दिवस पर )
: कितनी प्यारी सहज सरल हो... ( हिन्दी दिवस पर )
Avani Agrawal
محبّت عام کرتا ہوں
محبّت عام کرتا ہوں
अरशद रसूल बदायूंनी
यह कहते हुए मुझको गर्व होता है
यह कहते हुए मुझको गर्व होता है
gurudeenverma198
वह नारी है
वह नारी है
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
मन ,मौसम, मंजर,ये तीनों
मन ,मौसम, मंजर,ये तीनों
Shweta Soni
Loading...