*दादा जी ने पहना चश्मा (बाल कविता)*
दादा जी ने पहना चश्मा (बाल कविता)
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दादा जी ने पहना चश्मा
सदा संग अब रहना चश्मा
नाक-कान पर टिका दीखता
जैसे कोई गहना चश्मा
एक मुसीबत है रोजाना
टॉंगे-टॉंगे सहना चश्मा
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451