*दादा जी को खॉंसी आती (बाल कविता/ हिंदी गजल/गीतिका)*
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दादा जी को खॉंसी आती (बाल कविता/ हिंदी गजल/गीतिका)
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(1)
दादा जी को खॉंसी आती
सॉंस धुऍं से घुट-घुट जाती
(2)
शोर पटाखों का सुन-सुनकर
तबियत दादी की घबराती
(3)
लापरवाही से जब जलती
आतिशबाजी आग लगाती
(4)
अगर जरा-सा चूक गए तो
आतिशबाजी खाल जलाती
(5)
दीप जलाओ अंधकार में
यह ही दीवाली कहलाती
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451