दहेज प्रथा
****** दहेज प्रथा ******
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दहेज प्रथा घिनौना पाप है,
कन्याओं हेतु अभिशाप है।
जो बेटी चढ़े दाज की बलि,
माँ बाप का बढ़े रक्तताप है।
जब पैदा होती है बिटिया,
बोझ से रहता उच्चताप है।
कहते सुता होती है पराई,
पूर्ण घर संसार की माप है।
नोच डालते हैं जब भेड़िये,
जग का सबसे बड़ा पाप है।
नहीं रहती घर और घाट की,
जीवन का सर्वोत्तम श्राप है।
मिटाओ दहेज की बुरी रीत,
मनसीरत कहे यह संताप है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)