दहेज ना लेंगे
दहेज ना लेंगे
मन के मंच पर खुद से खडे होकर, वादा करेंगे।
मा बाप को छोद आयी बन उस खुश किस्मत से ना दहेज लेंगे
रख संस्कार जिसने अपनी कन्या को गुणवान डगर पर सीचा है
उन मां बाप की ले लाली को धन्य मान कहेंगे हम ना दहेज लेंगे
सुख-दुख में साथ निभाया
सुख-दुख पराया मान हमें सोपा है।
अपनी से दूर रहे से कर वो लाली खुशी-खुशी साथ आकर कहलवाती है हम ना दहेज लेंगे।
रूप उसका रख मन में श्रृंगार ख्यालो से करती है
शक्ल प्रभात भोर को देख तो दिन मेरा
खुशहाली से कहता है मैं ना दहेज लूंगा