दहेज उत्पीड़न
शादी – विवाह दो आत्माओं का मेल नहीं
गुड्डे – गुड़ियों का खेल है।
रूप और गुण का मेल नहीं
ये सब दहेज का झमेल है।
ये सब रीति – रिवाजों और खुशियों का सुरूर नहीं,
कुछ लोगों को पैसे का गुरुर है।
पढ़े लिखे लोग कहते कि मुझे इससे परहेज है
न जाने फिर क्यों लेते और देते दहेज हैं
जाने किसने और कब ये बेतुके रस्म बनाएं हैं
इस दहेज के चक्कर में कितनी लड़कियों ने जान गवाएं हैं
जो माँ – बाप समय पर दहेज नहीं दे पाते
उनकी बेटियों को ये लालची समाज जिंदा जलाते
पण्डित कितने तंत्र-मंत्र शादी में पड़ जाते हैं
फिर कुछ बहन शादी से खुश नहीं रह पाती है
दहेज के फेर में बाप तो छोड़ो,
साहब भी बैठे बिक जाते हैं
कारण दहेज के वे ठीक से खा भी नहीं पाते हैं
दहेज प्रथा अनपढ़ लोग नहीं
पढ़े लिखे लोग बढ़ाते हैं।
इंजीनियर हो तो 5,डॉक्टर हो 10 लाख तक ले जाते हैं।
शादी – विवाह दो आत्माओं का मेल नहीं
गुड्डे – गुड़ियों का खेल है।
रूप और गुण का मेल नहीं
ये सब दहेज का झमेल है।