दही भल्ले बाबा गोरखनाथ
दही भल्ले बाबा गोरखनाथ
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एक समय की बात है,एक संत महात्मा थे बो रोजाना घर घर भिक्षा मांगने जाते थे ।
एक बार बो किसी ऐसे घर मे गए जहां उनको भिक्षा तो मिली पर देने वाली स्त्री बहुत सुस्त होकर साधु महात्मा को भिक्षा देने लगी तो महात्मा जी ने उस स्त्री से पूछा तो तुम इतने दुखी क्यों हो ।उस स्त्री ने दुख का कारण बताया कि मेरे विवाह को दस बरस हो गए है मेरे कोई संतान नहीं है।तब महात्मा जी बोले वी मुस्कुराए कि मै यदि तुम्हारी समस्या को हल कर दूं तो ठीक रहेगा ।इतना सुनते ही उस स्त्री के चेहरे पर बहुत खुशी झूम गई बोली बाबा जल्दी बताइए ।तब महात्मा जी बोले कि ये भवूति मे दे रहा हूं इसको तुम जल्दी से सुबह के समय खा लेना तो तुमको संतान की प्राप्ति होगी ।और बाबाजी वहां से चले गए ।उस स्त्री ने अपने पति को सारी बातें बताई ,उसके पति ने मना के दिया और कहा कि इसको फेक दो ।उसने फेंकी नही ।पर गोबर के अंदर छुपा दी ।अब बाबा जी बारह साल के बाद उस स्त्री से कहे मुताबिक मिलने उसके घर आए।कहा कि हमको अपने पुत्र से मिला दो ।तो बो स्त्री बहुत रोने लगी कहा बाबाजी मैने बो वभुति नही खाई मेरे पति ने मना कर दिया था ।तब बाबा ने पूछा कि कहां है बो जहां छुपा कर रखी थी उस जगह ले गई।बाबा ने बारह साल के बाद मे बो गोबर उठाया तो वहां सुंदर सा बालक निकला ।अब स्त्री ये सब देखकर रोने लगी मेरा बच्चा ।तब साधु जी ने कहा कि ये बालक अब हम आपको नही दे सकते इसको हम अपने साथ ले जायेंगे अपने आश्रम मे भी इसको शिक्षा देंगे ।साधु जी उस बालक को ले गए और उसका नाम रखा बाबा गोरखनाथ ।उसको ज्ञान व शिक्षा दीक्षा दी । बाबा ने गोरखनाथ जी को भिक्षा लेने के लिए भेजा तो वह बालक भिक्षा में बहुत ही स्वादिष्ट पदार्थ लाया और अपने गुरुजी को भेट कर दी ।बाबा उस बालक को न देकर सभी को बो भोज्य पदार्थ खाने को दिया ।और बो बालक भूखा ही रह गया ।गुरुजी जी बालक गोरखनाथ जी से बोले कि ये दही बड़े बहुत ही स्वादिष्ट है कहां से मिले बालक बोला कि वहां शादी का घर था। वही एक माता ने दिए तब साधुजी बोले कि और ले आओ बालक ।बालक ने कहां जैसी आज्ञा गुरुजी ।और बालक उसी घर में द्वारा पहुंचा बोला भिक्षा देहिम भिक्षा देहिम्न।तब बो स्त्री निकलकर बोली और बालक गोरखनाथ पर चिल्लाने लगी बोली कि अभी तो भिक्षा दी थी ,तू फिर आ गया ,पेटू कही का ।तू झूठ बोल रहा है ।बालक बोला नही माता मै झूठ नही बोल रहा हूं । मै नाथ धर्म का हूं मै कभी झूठ नही बोलता चाहे आप मेरी परीक्षा ले ले।तब उस औरत ने कहा कि अपनी आंख निकाल कर दो ।तब मै दुबारा दही बड़े दूंगी।उधर बो दही बड़े लेने गई उधर बालक ने अपनी आंख निकाल कर उसको दिखा दी ।बो औरत सच मे डर गई एक दही भल्ला देकर भाग गई ।अब बालक गोरखनाथ अपने गुरुजी के लिए दही बड़ा दिया ।गुरुजी उसे देखकर बोले बालक यह तेरी आंख मे क्या हुआ ये सब किसने किया ।बालक से सारी बातें बताई तब गुरुजी ने सबसे पहले उस बालक की आंख मंत्र के द्वारा ठीक करी और अपने साथ ले गए ।बाबा गोरखनाथ एक सबसे बड़े संत बने ।
सुनीता गुप्ता कानपुर उत्तर प्रदेश