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8 Jul 2017 · 1 min read

दहलीज तक आ पहुंची सांझ

ये सांझ कोई गीत गुनगुना रही थी, मेघ आसपास ही मंडरा रहे थे, सूरज जैसे थककर चूर था और सांझ की गोद को सिराहने लगाकर कुछ देर लेटा…लेकिन झपकी गहरी लग गई…। सांझ ने सोते हुए सूरज को देखा लेकिन उसे उठाने की इच्छा नहीं हुई…लेकिन वो उसके बालों में उंगलियां फेरती हुई बारिश का गीत गुनगुनाने लगी…तभी सूरज ने आंखें खोली और कहने लगा बारिश के पहले में मुझे जाना होगा वरना मैं अपनी राह भूल जाउंगा…सांझ बिना कुछ कहे उठी और सूरज को विदा करने के लिए घर की दहलीज तक आ पहुंची…। सूरज धीरे-धीरे गांव के बाहर वाली पगडंडी से होता हुआ ओझल हो गया…। सांझ घर में आई और चटाई पर अंधेरे की स्याह चादर लेकर सो गई।

Language: Hindi
Tag: लेख
253 Views
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