दस्तूर
राहें चलें तो पत्थरों से मजबूर हैं
उपरवाला अपने रुतबे पे मगरूर है
लोगों के दिलों में थोड़ी चाहत तो जरुर है
लेकिन यहाँ फुलों के बदले काँटों का दस्तूर है….
मंजिलों तक पहुंचना अब अपना लक्ष्य कहाँ रहा
ऊपर वाले के सामने रखने को अपना पक्ष कहाँ रहा
यारों के साथ मिलकर मस्ती-यारी करें अब वेसा वक़्त कहाँ रहा
पर नए दोस्त बनाये ऐसी आरज़ू दिल में जरुर है
लेकिन यहाँ फूलों के बदले काटों का दस्तूर है…..