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10 Jan 2021 · 1 min read

दल बदल नेता

आया हूं मै दल में
विचारधारा के लिए
निस्वार्थ भाव से
जन सेवा के लिए

जनसेवा करता नहीं
मैं कोई पद पाने के लिए
मैं तो पैदा ही हुआ हूं
जनसेवा के लिए
राष्ट्र के विकास और
भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए

कुछ वर्ष ये भावना रहती है
जैसे जैसे लोकप्रियता बढ़ती है
धीरे धीरे महत्वाकांक्षाएं भी बढ़ती है
अब उसके सामने विचारधारा भी
बौनी पड़ जाती है

और दूसरे विकल्पों की
तलाश में जुट जाता है
निष्ठाएं दल से बदल कर
कुर्सी पर आ जाती है

अब अपना दल दलदल और
कहीं और कमल नजर आता है
अपना दल डूबता जहाज और
कहीं और चढ़ता सूरज नजर आता है

Language: Hindi
10 Likes · 1 Comment · 581 Views
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