दलित वर्ग खाता रहा
दोहा
दलित वर्ग खाता रहा, वर्णाश्रम की मार।
तीन वर्ण को ही मिला, शिक्षा का अधिकार।।
पैदा कुदरत ने किए, सभी लोग इंसान।
बांट दिया इंसान को, किया बड़ा नुकसान।।
गुरुकुल सिस्टम में कमी, रही सदा भरपूर।
रखा आम जन को सदा, ज्ञान ध्यान से दूर।।
शिक्षित होंगे लोग कुछ, बाकी उनके दास।
वर्ण-व्यवस्था ने किए, ऐसे सभी प्रयास।।
शुद्र सदा वंचित रहा, वर्णाश्रम का खेल।
कैदी शदियों तक रहा, ऐसी मनु की जेल।।
किया कपट मुझ से बड़ा, रखा सदा लाचार।
तिल-तिल कर मरता रहा, पड़ी झेलनी मार।।
‘सिल्ला’ आगे बढ़ रहा, संविधान की देन।
वर्णाश्रम की मार से, सदा रहा बेचैन।।
-विनोद सिल्ला