दर पर दीवाना आया है
दर पर दीवाना आया है (ग़ज़ल)
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तेरे दर पर दीवाना आया है,
मर मिटने परवाना आया है।
खो कर पाया है जीवन में यारा,
वो बन कर अफसाना आया है।
अरसे से थी राहों में प्रतीक्षा,
नजरों का वो नजराना आया है।
मांगी हमने कु दरत से थी भीक्षा,
साया बन कर सरमाया आया है।
बदले बदले दिखते सारे आलम,
मौसम कितना मस्ताना आया है।
मनसीरत देखो किस्मत ने रगड़ा,
ये मुखड़ा क्यों मुरझाया आया है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)