दर पर अपने प्रभु ने बुलाया होगा
दर पे अपने प्रभु ने आज बुलाया होगा
छोड़ के काम सभी फिर से पठाया होगा
आज अपराध क्षमा कर प्रभु ने मेरे सब
मार्ग हमको जो शराफत का दियाया होगा
हो गया जब वह लाचार गरीबी में तो
वक्त ने कठपुतली सा ही नचाया होगा
हो न पायी जब पूरी सब आसें उसकी
तब गले मौत को उसने तो लगाया होगा
ख्याव तेरे महके फिर जो मिला वो होगा
तो जहाँ एक नया तूने सजाया होगा
हो उठी मैं खुश पा कर पत्र तेरा अब तो
दोड़ कर जो फिर उसको तो पढाया होगा
घूम कर मैं दर सारे प्रभु के आयी
इसलिये तो मुझे पास बसाया होगा
डॉ मधु त्रिवेदी