दर को खुला के रखिए
*दर को खुला के रखिए
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नजरें टिका के रखिए,
मन में बसा के रखिए।
दिल थाम के तुम रहना,
बातें बचा के रखिए।
आने वाला है यहाँ,
दर को खुला के रखिए।
सांसों का भरोसा क्या,
न राज छिपा के रखिए।
भ्रम में भी क्या जीना,
बंदिश हटा के रखिए।
निशां दागदार कर दें,
दामन बचा के रखिए।
दो दिन की जिंदगानी,
गढ्ढें न खुदा के रखिए।
मनसीरत कहे दिल से,
न प्यार मिटा के रखिए।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)