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31 May 2017 · 1 min read

दर्पण

दर्पण हो अपलक कर रहा,प्रेयसी का मनुहार।
है पिया मिलन को कर रही सुरभित पुष्प श्रृंगार।
चंचल चितवन,चंदन सा बदन,है चंद्र सम आभा,
नयनों में स्वप्न चमक रहे लिए प्रेम अनंत अपार।

दिव्य आभा वाले माथे पर जो बिंदिया तूने सजाई
पूछे दर्पण बता प्रिये, क्या पूनम का चांद लेआई।
केश संवारे, नागिन सी चोटी और मांग भरे हैं तारे,
होंठ गुलाब की पंखुड़ियां है मधुर मुस्कान लुभायी

पोंहची कंकण चूड़ी कंगना है खनक रही कलाई,
काली घटा का काजल है या रजनी नयन छिपाई।
छन-छन पग में बजती पायल,करती दिल घायल,
कान के झुमके चूम रहे, तेरी गर्दन जैसे सुराही।

पिया का नाम लिखा हाथों में है मेहंदी खूब रचाई।
नाक में नथ चमक रही,हाय,कितनों ने जां गंवाई।
कमरबंद गीत गुनगुना रहा तेरे बिछुए ताल मिलाते
पूछे दर्पण यह कौन है नीलम हैकौन नगर से आई

नीलम शर्मा

Language: Hindi
650 Views
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