दर्पण
व्यस्तता जब ढीली करे
अपनी पकड़
तब देखना दर्पण
निहारना अपनी छबि
निहारते जाना
एकटक
अपलक
अनवरत
यदि मुखमंडल
की मलीनता
मन कचोटने लगे
झाँकना अन्तस में
सोचना
कब कब प्रयास किए थे
सूरज पर थूकने के।
संजय नारायण
व्यस्तता जब ढीली करे
अपनी पकड़
तब देखना दर्पण
निहारना अपनी छबि
निहारते जाना
एकटक
अपलक
अनवरत
यदि मुखमंडल
की मलीनता
मन कचोटने लगे
झाँकना अन्तस में
सोचना
कब कब प्रयास किए थे
सूरज पर थूकने के।
संजय नारायण