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16 Jan 2023 · 1 min read

दर्पण

दर्पण
———–
कैसा है मन का ये दर्पण,
जाने क्या -क्या ये कहता है।

आंखों ही आंखों में,
कितनी बातें करता है।

दिल की बातें जानकर,
मन ही मन मुस्काता है।

दर्पण नहीं छुपाता मन की
कोई भी बात है।
जैसी भी तस्वीर हो वही सामने
लाता है।।

सज -धज करके नारियां
अपना रूप निहारें हैं।
चेहरा ही दर्पण होता,
यही सबको समझाता दर्पण है।।

सुषमा सिंह*उर्मि,,

Language: Hindi
1 Like · 255 Views
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