दर्द
बाल कहानी- दर्द
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आज प्रिया बहुत खुश थी। उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था। खुश भी क्यों न हो, उसको स्कूल में कला प्रतियोगिता में प्रथम स्थान जो मिला था। कला प्रतियोगिता में प्रथम स्थान मिलने की वज़ह से उसे बहुत सम्मान और इनाम मिला था।
प्रिया ने अपनी खुशियाँ सभी के साथ बाँटी। दोस्तों के साथ पार्टी भी की और रिश्तेदारों को दावत पर भी बुलाया।
कुछ दिन स्कूल आने के बाद प्रिया ने अचानक स्कूल आना बन्द कर दिया। अध्यापिका ने प्रिया की सहेलियों से प्रिया के स्कूल न आने की वजह पूछी तो पता चला कि प्रिया की तबियत खराब है। स्कूल की छुट्टी के बाद अध्यापिका प्रिया के घर पहुँची तो पता चला कि प्रिया हाॅस्पिटल में एडमिट है।
अध्यापिका हाॅस्पिटल पहुँची और देखा कि प्रिया अपनी माँ के गले लगकर कह रही थी कि-, “माँ! मुझे कान का आपरेशन नहीं कराना है। मुझे डर लग रहा है।”
अध्यापिका ने पता लगाया कि आखिर बात क्या है? प्रिया की माँ से पता चला कि प्रिया के कान में अचानक दर्द उठा! डॉक्टर को दिखाने पर पता चला कि कान के पर्दे में दिक्कत है। एक छोटे से आपरेशन से ठीक हो जायेगा।
अध्यापिका ने प्रिया को समझाया कि-, “प्रिया बेटे! सब ठीक हो जायेगा। तुम परेशान न हो। फिर तुम स्कूल आना और अभी तुम्हें बहुत सी प्रतियोगिताओं में भाग लेना है। आपरेशन एक ऐसा ट्रीटमेंट है, जिसके होने के बाद मरीज़ जल्द से जल्द ठीक हो जाता है। तुम तो बहादुर बिटिया हो। बहादुर बेटियाँ रोती नहीं है। मुसीबत का डटकर सामना करती हैं।”
प्रिया ने अध्यापिका की बात मानकर खुद में हिम्मत भरी और आँसू पोंछ लिये। प्रिया के कान का सफ़ल आपरेशन हुआ।
कुछ महीने बाद प्रिया पहले की तरह ठीक हो गयी और खुशी-खुशी स्कूल आने-जाने लगी।
शिक्षा-
हमें जीवन में आने वाली परेशानियों से घबराना नहीं चाहिए।
शमा परवीन
बहराइच उत्तर प्रदेश