दर्द से भरी जो बात मुझसे कही
दर्द से जो भरी बात मुझसे कही
छोड़ के जिन्दगी जब चली क्या करें
मुस्कराहट हमेशा सजी होठ पर
ले मजा जो इश्क का पली क्या करें
साथ मेरा नहीं आज उसको मिला
प्यार को छोड़ पति से मिली क्या करें
फूल को देख बौरा गया जब बसंत
लग गले से मिली तो कली क्या करें
हो गयी है सुहानी ऋतु आज फिर
जब मुहब्बत मिली तो खिली क्या करें