“दर्द से दिल्लगी”
इक ख़ता अनकही आप कर लीजिए !
दर्द से दिल्लगी आप कर लीजिए !!
ज़िंदगी का कभी मत भरोसा करो !
नेकियाँ कुछ नयी आप कर लीजिए !!
फूल मिलते नहीं हैं अगरचे तुम्हें !
ख़ार से दोस्ती आप कर लीजिए !!
सुरमयी शब्द के मर्म को जानिए!
फिर हसीं शायरी आप कर लीजिए !!
चैन होगा मयस्सर यकीनन तुम्हें !
दो घड़ी बंदगी आप कर लीजिए !!
प्यार की बूँद को जो तरसते सदा !
बात उनसे ज़रा आप कर लीजिए !!
अब मुसाफ़िर समां दिलनशीं है मिला!
क़ैद में हर ख़ुशी आप कर लीजिए!!
धर्मेंद्र अरोड़ा “मुसाफ़िर”
संपर्क सूत्र:9034376051