दर्द सब लेती हैं माँ की कोई पैमाई नहीं!
इस जहाँ में मेरी माई जेसी माई नहीं
माई जैसी किसी ने भी नेमत पाई नहीं
माँ के पैरों में ही बीते मेरा भी ये जीवन
सादा जीवन है मेरा घर में भी ऊँचाई नहीं
रात भर मेरे ही पैरों को दबाती रही वो
दर्द सब लेती हैं माँ की कोई पैमाई नहीं
मैंने भी देखा है माँ रूप में भगवान को
दौरे गर्दिश में भी मेरी माँ मुरझाई नहीं
ऐसे ही अब मैं चला जाता हूँ आफ़िस अपने
शर्ट कब से हैं फटी माँ न है तुरपाई नहीं
सोचती हो कि मैं भी भूल गया हूँ तुम्हे
माँ ये तो सिर्फ़ दिखावा ही हैं सच्चाई नहीं
बेटे चाहे कितने भी बड़े क्यों हो जाये
माँ से कुछ बोल सके इतनी भी लंबाई नहीं
-आकिब जावेद
पता-बिसंडा,जिला-बाँदा,उत्तर प्रदेश