दर्द बुरा होता है
धीरे-धीरे ही तेरी सच्चाई का ,पता होता है
ऐ दुनिया। बाद की तन्हाई का दर्द बुरा होता है
ऐ दुनिया।
बचपन का मीठा प्यार बहुत भाता था मगर
युवा भाइयों की जुदाई का दर्द बुरा होता है
ऐ दुनिया।
माता-पिता ने हम पर वारा, अपना जीवन उन से हमने की बेपरवाही का दर्द बुरा होता है
ऐ दुनिया
अपनों से हमने किया था प्यार उसके बदले
उनसे मिली बेवफाई का दर्द बुरा होता है
ऐ दुनिया
बिटिया तो हुआ करती है घर भर की रौनक
लाडो रानी की विदाई का दर्द बुरा होता है
ऐ दुनिया।
जब माँ जाये बच्चों के बीच खिंचती हैंदीवारें
तो इस जग हंसाई का दर्द बुरा होता है
ऐ दुनिया।
सच पूछो तो तेरे इस जहाँ में, कदम कदम पर
मिली रुसवाई का, दर्द बुरा होता है
ऐ दुनिया।
——– रंजना माथुर दिनांक 26/11/2016
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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