बताता कहां
दर्द दिल के वो अपने बताता कहां।
घाव अपने बदन के दिखाता कहां ।।
सितारा जब टूटा उजाला हुआ।
मिल गया खाक में वो जताता कहां।।
लाख गहरा हो गर समुंदर तो क्या।
प्यास अधरों की वो है बुझाता कहां।।
जुगनूओ के सरीखे वो जीता रहा ।
टिमटिमाता बहुत वो नूर देता कहां।
औस गिरती है खेत खलिहान में।
झिलमिलाती बहुत पेड़ सिंचता कहां।।
तोड़ा शीशा जो उसने बिखरता गया।
दिल तोड़ा किसी ने है दिखता कहां।।
एक इंसान जिद और अहम से भरा।
सुनता है सबको पर समझता कहां ।।
उमेश मेहरा
गाडरवारा (एम पी )