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4 Mar 2022 · 1 min read

दर्द तो ना है पर जख्मों के निशा बाकी है।

दर्द तो ना है पर जख्मों के निशा बाकी है।
एक कसक है तुमने क्यूं की दिले जां बेवफायी है।।1।।

जब कभी इस दिल को तेरी याद आती है।
लानत भेजते है हम इसे क्यूं तूमने जां फसायी है।।2।।

कोई तो वजह होगी उसके यूं दूर जाने की।
पूंछा तो बहुत पर सच बात किसी ने ना बतायी है।।3।।

कहते हे शिद्दत से चाहो सब मिल जाता है।
करके देखी हमने तो सच्ची मोहब्बत कहां पाई है।।4।।

उनका नाम रेत पर लिखकर हम देखते हैं।
समन्दर की लहर आकर उसे भी बहा ले जाती है।।5।।

अब ना करेंगे किसी से दिल की मोहब्बत।
हर बार हमारी दीवानगी यूं सबसे धोखा खायी है।।6।।

क्या करें यूं महफिल में नाम उनका लेकर।
बदनामी मिलेगी रूह किसी की सुकु ना पाती है।।7।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

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