दर्द चाहत भरा इक हसीं जाम है ।
दर्द चाहत भरा इक हसीं जाम है
उफ़ मोहब्बत का अक्सर ये अंजाम है ।
ना हो मायूस इसकी कसक को समझ,
इश्क़ की हर कशिश मुश्किलों को समझ,
वक़्त पर छोड़ दे व्यर्थ में मत उलझ
एक किस्सा पुराना बहुत आम है
दर्द चाहत भरा इक हसीं जाम है
उफ़ मोहब्बत का अक्सर ये अंजाम है।
चाँद किसको मिला है कहो आज तक,
प्यास पपिहे की बोलो बुझी आज तक,
सिर्फ चातक बना दूर से देखता
मेघ अब तक मयूरा मगन देखता,
मूक आराधना भी बड़ा काम है।
दर्द चाहत भरा इक हसीं जाम है
उफ़ मोहब्बत का अक्सर ये अंजाम है
कुछ कहो मत कहो दिख रही हर सुबह,
पीर पर्वत सी बढती रही हर सुबह,
मन भगीरथ बना तृप्ति की आस में ,
तन भटकता रहा प्यास को पास में,
प्यास से ही फक़त तृप्ति का नाम है।
दर्द चाहत भरा इक हसीं जाम है
उफ़ मोहब्बत का अक्सर ये अंजाम है ।
गम न कर दर्दे दिल की दवा ढूँढ ले,
इक रूहानी सुहानी दुआ ढूँढ ले
चार दिन का रहा चाँदनी का चलन,
सिर्फ खाली औ खाली रहा है गगन,
फिर वही खाली खाली सुबह शाम है
दर्द चाहत भरा इक हसीं जाम है
उफ़ मोहब्बत का अक्सर ये अंजाम है।