दर्द गहरा बहुत है
उन आंखो मे दर्द गहरा बहुत है।
समंदर है मगर प्यासा बहुत है।
दो ही रंग होते है गौरा व काला
देखो तो देखो दिल प्यारा बहुत है।
वो शख्स मुझे लगा अपना हो जैसे
लगा आवाज से के तन्हा बहुत है ।
दबाते रहे गम को मुस्कुराहट से
पूछो तो हाल कहे अच्छा बहुत है।
गुजरा जो वक्त कागज के सहारे
मेरा उस वक्त अक्स अकेला बहुत है।
समझना जिदंगी को चाह जब भी
खुद को उलझा हुआ पाया बहुत है।