— दर्द कैसे बयां करूँ —
गहरा दिआ तूने दर्द
इस को कैसे बताऊँ
अपने जज्बात मैं
खोलकर कैसे जताऊं
खेल खेला तूने ऐसा
उस खेल को कैसे बताऊँ
मन क्या भरा तेरा
अब तुझे ही कैसे सुनाऊ
प्यार में डूबा कर
तूने किनारा कर लिया
अब लोगों से सुनूँ हर बात
तो जाकर तुझे कैसे बताऊँ
दर्द की दवा भी तू थी
इस मर्ज की रजा भी तू थी
मिल गया तुझे नया साथ
अब में जाकर किसे बताऊँ
अजीत कुमार तलवार
मेरठ