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15 Apr 2017 · 1 min read

दर्द की बात ना करो

?????
दर्द की बात ना करो,
हम तो दर्द में ही रहते हैं।
हर रोज घुटते-मरते हैं,
पर किसी से नहीं कहते हैं।
वक्त ने जो भी किया सितम
सब हँस-हँस कर सहते हैं।
हम तो वो गुलाब हैं जो
रोज काँटों की चुभन सहते हैं।
काँटों की चुभन सहकर भी
खिलखिला कर हँसते हैं।
किससे करे शिकायत ?
जख्म देने वाले भी तो अपने हैं।
हम तो अपने के
भीड़ में भी अकेले रहते हैं।
दर्द की बात ना करो,
हम तो दर्द में ही रहते हैं।
????—लक्ष्मी सिंह ??

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 506 Views
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