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5 Aug 2023 · 1 min read

दर्द की आंधी को

दर्द की नदी है
दर्द की बारिश है
दर्द का जलजला कहां रुकता है
यह तो दिल की घाटियों से होकर
गुजरता है
दर्द की बूंद तो
एक ओस की बूंद नहीं
एक पत्थर का मोती है
जिसका वजूद कभी खत्म ही नहीं होता
दर्द की आंधी को जितना रोकना चाहो
यह उतनी ही और तेज गति, वेग, गहनता, शीघ्रता और
उन्माद से
घर के गुलिस्तानों को बर्बाद करती है।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
323 Views
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