दर्द ए गम था उसका, ग़ज़ल कह दिया हमने।
दर्द ए गम था उसका, ग़ज़ल कह दिया हमने।
इस तरह संजीदगी पर, फ़ज़ल किया हमने।।
खुद्दारी वफादारी की कीमत ही घटा दी हमने।
इस तरह इंसानियत का कतल किया हमने। ।।
“शून्य”
दर्द ए गम था उसका, ग़ज़ल कह दिया हमने।
इस तरह संजीदगी पर, फ़ज़ल किया हमने।।
खुद्दारी वफादारी की कीमत ही घटा दी हमने।
इस तरह इंसानियत का कतल किया हमने। ।।
“शून्य”