दर्द इन्सान को
दर्द इन्सान को
सब से ज्यादा विकल
करता है
विकलता विवेक को
नष्ट करती है
और जब विवेक नष्ट हो जाए
तो इन्सान विचलित हो जाता है
दर्द और बढ़ जाता है
अनवरत, असीम
हिमांशु Kulshrestha
दर्द इन्सान को
सब से ज्यादा विकल
करता है
विकलता विवेक को
नष्ट करती है
और जब विवेक नष्ट हो जाए
तो इन्सान विचलित हो जाता है
दर्द और बढ़ जाता है
अनवरत, असीम
हिमांशु Kulshrestha