दर्द अपनों का
मत करो
झूठे वादे
अपनों से
बड़ा दर्द
होता है
जब वो
पूरे होते नहीँ
करते हैं
वादा बच्चे
माता पिता से
खूब पैसा
कमा कर
आऊंगा लौट कर
विदेश से
तकते रहते वो
लौटते नहीँ
देते धोखा
नेताओं के
भाषण
झूठे वादे
ठगी जनता
फिर इन्तजार
अगले वादों का
पति पत्नी
के वादे
ज्यों पानी के
बुलबुले
कभी पूरे
तो कभी अधूरे
जियो
हकीकत की
दुनियां में
मत पालो
भ्रम कोई
कर सकते हो
जो वादे पूरे
कहो उतनी ही
बात अपनों से
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल