दर्दे दिल…….!
दर्दे दिल के रिश्ते कभी मिटते ही नहीं
लगी जो दाग दिल में वो भरते ही नहीं।
जला दी हो जिसने खुशियां ही अपनी
मुद्त से सुलगती आगें, वो बुझती ही नहीं।
उजाड़ी है मैंने, अपनी अरमानों की बगीया
बरसों बाद भी कलियां खिलती ही नहीं।
तिनके-तिनके जोड़ कर बनाया था आशियां
अब वहां कोई अपना ठहरता ही नहीं।
गुजारी है मैंने जिंदगी आहें भरते-भरते
फिर भी उम्मीदें मेरी खत्म होती ही नहीं।
देखा है जो ताउम्र पतझड़ ही पतझड़
उनके जिन्दगी में बहारें आती ही नहीं।
बहुत खुशनसीब होते जो प्यार को है पाते
मेरी किस्मत की लकीरें मिटते ही नहीं।
ढ़ो रहा हूँ अपने कंधों पर लाश का बोझ,
जिंदगी चीज है क्या मैं जनता ही नहीं।
सवालों के बवंडर उठते है अक्सर,
भुलने की कोशिश में याद मिटते ही नहीं।
मिलने की तमन्ना शेष बाकी है अभी,
वो बेवफा इस राहों से गुजरते ही नहीं।
प्रीत की रीत ना निभायी ए कुमार,
ये बहते हुए आंसु अब थमते ही नहीं।
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