दर्दे-उल्फ़त की कोई दवा दीजिये
दर्दे-उल्फ़त की कोई दवा दीजिये
ज़ख़्मे-उल्फ़त पे मरहम लगा दीजिये
आप नज़दीक आकर मेरे इक दफ़अ
ज़िन्दगी के पलों को सजा दीजिये
आपने गुनगुनाई जो धुन प्यार की
वो ही सरगम हमें भी सुना दीजिये
आप चाहो बिकेंगे किसी दाम पर
आप बोली कोई भी लगा दीजिये
रौशनी से है इतनी मुहब्बत अगर
आप बेशक़ मेरा दिल जला दीजिये
आप आओ समाओ मेरे दिल में यूँ
फ़ासला दिल का दिल से मिटा दीजिये
आपको भाए जो ख़्वाब उसको सनम
आप पलकों पे मेरी सजा दीजिये
बन के मेरी रहोगी ये वादा किया
सिर्फ़ इक बार वादा निभा दीजिये
आप ख़ामोशियों को कहो अलविदा
फिर जो ‘आनन्द’ बोले सज़ा दीजिये
– डॉ आनन्द किशोर